देहरादून । अगर उत्तराखंड सरकार एसबीआई के एक प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने में कामयाब हुई तो आने वाले समय में देवभूमि के चारधाम समेत सुप्रसिद्ध मंदिरों की विकास समितियों को अपने विकास और सुविधाओं के लिए धन की कमी नहीं होगी । योजना के अनुसार , राज्य सरकार ने मंदिर के सोने को उपयोग में लाने की तैयारी की जा रही है। पिछले दिनों SBI ने सोने के बदले कर्ज अथवा अन्य विकल्पों के तौर पर धन मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया है। इसे देखते हुए सरकार ने बदरी-केदार मंदिर समिति को इस संबंध में विचार करने का सुझाव दिया है। सरकार की योजना है कि चारधाम समेत उत्तराखंड के अन्य मंदिरों को अपने यहां अवस्थापना विकास और सुविधाओं के लिए धन को किसी का मुंह नहीं ताकना न पड़े ।
विदित हो कि भारत के सभी बड़े मंदिरों में प्रतिवर्ष सोने - चांदी के साथ ही करोड़ों रूपये का चंदा चढ़ता है । देश के अन्य राज्यों में मौजूद मंदिरों के साथ ही उत्तराखंड के मंदिरों में भी श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया जाने वाला सोना - चांदी बिना किसी उपयोग के यूं ही पड़ा रहता है। यह मंदिर की अचल संपत्ति तो होती है लेकिन इसका उपयोग नहीं किया जाता ।
बहरहाल, अब खबरें हैं कि हाल में हुई उच्च स्तरीय बैठक में SBI ने मंदिरों के सोने का उपयोग करने का सुझाव राज्य सरकार को दिया है । बैंक की ओर से प्रस्ताव आया कि वह इस सोने को न सिर्फ सुरक्षित रखेगा, बल्कि इसके एवज में गोल्ड लोन अथवा अन्य विकल्पों के रूप में धन मुहैया कराएगा। सोने के बदले मिलने वाले धन से मंदिर समितियां अपने-अपने मंदिरों में अवस्थापना विकास के साथ ही सुविधाओं के विकास में खर्च कर सकेंगे। ऐसे में उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए सरकार अथवा दूसरी एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
सरकार के सूत्रों का कहना है कि एसबीआई का प्रस्ताव त्रिवेंद्र रावत सरकार को पसंद आया है , जिसके चलते उन्होंने बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) को इस प्रस्ताव पर विचार करने का सुझाव दिया गया है। अगर इस पर सहमित मिलती है तो जल्द ही एसबीआइ की ओर से एक प्रजेंटेशन सरकार के सामने पेश की जाएगी , जिसमें बताया जाएगा कि आखिर मंदिरों से मिलने वाले सोने के एवज में किस प्रकार से धन दिया जाएगा और इसका प्रारूप क्या होगा ।
अभी इस मुद्दे पर पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि मंदिरों के सोने के उपयोग के मद्देनजर एसबीआई का प्रस्ताव आया है। इस बारे में बैंक के प्रस्तुतीकरण और बीकेटीसी के जवाब के बाद ही कदम आगे बढ़ाए जाएंगे।